Science fiction in India has lately emerged as a respectable literary genre. Please join me to have a panoramic view of Indian science fiction.
Tuesday, September 22, 2009
मैंने भी देखी डिस्ट्रिक्ट ९ ( विज्ञान फंतासी फिल्म समीक्षा )
अभी अभी डिस्ट्रिक्ट ९ देख कर लौटा हूँ ! हिन्दी वर्जन ! जब मैं और बेटे कौस्तुभ 8 बजे रात वाली शो में हाल में घुसे तो देखकर दंग रह गए कि हम केवल दो ही दर्शकों को हाल सुशोभित कर रहा था या केवल हम दोनों ही हाल की शोभा बढा रहे थे ! तभी एक और सज्जन आते दिखे -मन में उनके प्रति तीव्र प्रशंसाभाव उपजा कि हमारी ही तरह एक और विशिष्ट साईंस फिक्शन का दर्शक लो आ गया -मगर अगले ही पल घोर हताशा हुयी देखकर कि ये तो वही टिकट चैक करने वाला था न जाने क्यों ऊपर सीढियों पर चढा आ रहा था -एक तीव्र आशंका ने जन्म लिया कहीं शो तो निरस्त नहीं हुआ ? मगर नहीं, उसी क्षण हाल की बत्तियां बुझी और फिल्म शुरू हो गयी !
यह एक हतभाग्य अंतरिक्षयान और यात्रिओं की कहानी है जो अफ्रीका के जोहांसबर्ग शहर के ठीक ऊपर अपनी शिप -यान को रोक रखने के लिए मजबूर हो जाते हैं क्योंकि उनके यान का कमांड मोड्यूल ही दुर्घटना वश छिटक कर गिर पड़ता है ! रिसक्यू आपरेशन में सभी अन्तरिक्षवासियों -एलिएंस को बिना मारे (थैंक्स ह्यूमन राईट्स के झंडाबरदार !) लाकर एक जगह बसा दिया जाता है जो धरती का सबसे पहला और बड़ा -करीब १८ लाख एलिएंस बासिंदों की झोपड़ पट्टी में तब्दील हो जाती है ! हमारा सभ्य समाज उनसे उसी तरह व्यवहार करता है जैसे हम मौजूदा झोपड़ पट्टियों लोगों के साथ करते हैं -वही स्लमडाग ट्रीटमेंट ! मानवतावादी संगठनों को बस दिखाने के लिए उनसे ऊपरी तौर पर संवेदना है मगर अन्दर से जातीय नफरत ! उन्हें जहाँ बसाया जाता है वह मनुष्य की बस्तियों के ठीक पास की जगह होती है -डिस्ट्रिक्ट ९ ! और इसलिए धरा पुत्रों और धारावी (डिस्ट्रिक्ट ९ ) पुत्रों में आये दिन छीना झपटी होती रहती है ! अब कई संगठनों की मांग उठनी शुरू होती है कि एलिएंस बस्ती को दूर बसाया जाय ! धरना प्रदर्शनों का दौर शुरू हो जाता है ! आखिर उनके पुनर्वास का निर्णय लिया जाता है ! उनसे दिखावटी तौर पर वहा से हटने की नोटिस पर इकबालिया दस्तखत कराने की कोशिश होती है मगर वे मना करते हैं !
मध्यांतर (बत्तियां जलती हैं हाल में कुल बारह एलिएंस नजर आते हैं मतलब बाकी दस और...... )
इसी बीच गुप चुप तौर पर उन्ही एलियंस के बीच के कुछ तेज बुद्धि सदस्य क्रिस्टोफर नामक एलियेंन की अगुआई मे कमांड मोड्यूल को खोज कर उसकी मरम्मत का काम करते रहते हैं जिसमें एक दिखावटी मानवतावादी संगठन का मासूम सा अधिकारी विकस (जिसका इस्तेमाल हो रहा होता है मगर वह अनभिग्य है ) विघ्न डालता है -छीना झपटी में विकस के हाथ में एक छोटा सा सिलिंडर आ जाता है जिससे कुछ स्प्रे सा निकल कर उसके सांसों में घुस जाता है -अनहोनी हो जाती है -विकस उन्ही एलिएंस में तब्दील होने लगता है ,उसका एक हाथ बिलकुल एलिएंस सा हो जाता है -बिलकुल झीगें की टांग सा ! एलिएंस भी खुद लोब्स्टर और ग्रासहापर के हाईब्रिड से लगते हैं ! और प्रांस कहे जाते हैं ! ( भगवान अपने महान बालीवुड - खलनायक प्राण की आत्मा को शांति दें ! )
अब विकस की पोजीशन बहुत नाजुक हो जाती है -उसी का संस्थान अब खुद उसे ही वैज्ञानिक प्रयोगो के लिए चुनता है -किसी तरह विकस भाग कर उन्ही एलिएंस के बीच ही शरण लेता है ! वह एलिएंस को भागने में मदद करता है ! क्रिस्टोफर उससे वादा करता है कि वह अपने ग्रह पर जाकर फिर उसे बचाने और उसे उसका पुराना मानव स्वरुप देने लौटेगा ! आखिर दो कुशाग्र एलिएंस स्पेसशिप को विकस की सहायता से भयंकर मारकाट के बीच दुरुस्त कर अपने ग्रह की ओर उड़ चलते हैं -जाहिर है यह एक सिक्वेल सीरीज की फिल्म है -इस बीच डिस्ट्रिक्ट ९ के स्लम को डिस्ट्रिक्ट १० के रूप में मानव बस्ती से काफी फासले पर मिलिटरी की सहायता से पुनर्वासित कर दिया जाता है ! तब तक विकस भी पूरी तरह एलिएंस में तब्दील हो चुका रहता है और अपनी पत्नी को छुप छुपा कर गुलाब के फूल भेट कर आया करता है ! मगर उसे अपनी सूरत भी बिचारा किस मुंह से दिखाए !
फिल्म खुद हमारे अपने धरती के स्लम पर हमारे दृष्टिकोण पर सटायर है ! रंगभेद की राजनीति पर भी करारा वार है ! अच्छी विगयान कथाएँ किस तरह हमारी मौजूदा सामजिक विसंगतियों को भी उभार सकती हैं यह फिल्म एक बेहतरीन उदाहरण है ! किस तरह नशेडी ,शस्त्रों के माफिया तन्त्र इन स्लमों के जरिये विस्तार पाते हैं इसका भी जोरदार चित्रण इस फिल्म में है !
डिस्ट्रिक्ट ९ को देखने के जोरदार सिफारिश है ! निर्देशक नील ब्लोमकैम्प हैं !
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समीक्षा पढ़कर मूवी देखने का मन हो चला है.
ReplyDeleteमुवी तब देखे जब इस मुयी ब्लांगिग से पीछा छुटे... समीक्षा बहुत सुंदर ढंग से की है आप ने.
ReplyDeleteधन्यवाद
हा हा हा हा हा हा हम भी एलिएंस बनने की तैयारी करते हैं
ReplyDeleteregards
हा हा हा हा हा हा हम भी एलिएंस बनने की तैयारी करते हैं
ReplyDeleteregards
फिल्म दिलचस्प है, लेकिन इसका चित्रण कुछ डाक्युमेंट्री की तरह से है, इसलिये मुझे थोड़ी डिसकनक्टेड सी लगी.
ReplyDeleteसाइन्स फिक्शन फिल्मों में एक बहुत ही दिलचस्प सीरीज़ है स्टारशिप ट्रूपर.
@शुक्रिया सिरिल आपका कहना सही है मगर यह नयी सर्जनात्मक सोच तो देखिये की एक भरी पूरी फिल्म को डाक्क्यूमेंत्री के लहजे में प्रस्तुत कर दिया गया है -ऐसी हिम्मत क्या बालीवुड दिखा सकता है ?
ReplyDeleteजरुर देखेंगे जी अब तो इसको ..बहुत बढ़िया समीक्षा की है आपने शुक्रिया
ReplyDeletegood... waise aisi filmy time paas ke liye achhi hoti hain... par cenema me to log timepass ke liye bhi nhi jaate
ReplyDeleteनील ब्लोमकैम्प को एनीमेशनस के लिए जाना जाता है.. यही वजह रही होगी कि उन्होंने अपनी फिल्म में फंतासी को जोड़ा.. उन्होंने खुद ही ये कहानी लिखी है.. मैंने हमेशा एक बात नोटिस की है कि हम लोग चाहे भारतीय लोगो को कितना ह इसंवेदंशील कह ले.. पर मानवीय संवेदनाओ पर होलीवूड में कई अच्छी फिल्मे बन चुकी है..
ReplyDeleteसिरिल जी की बात से सहमत हूँ.. कही कही ऐसा लगता है जैसे हम डॉक्युमेंट्री देख रहे है
बहरहाल डिस्ट्रिक्ट नाईन के लिए मैं भी यही कहूँगा.. उम्दा प्रयास है देखना चाहिए
फिल्म देखने की इच्छा जाग उठी है। जुगाड़ते हैं कुछ समय।
ReplyDeleteहम लोगों ने भी एक बार पूरी बॉलकनी में चार लोगों ने बैठ कर फिल्म देखी है। फिल्म समीक्षा ने इसके प्रति उत्सुकता बढा दी है।
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
बहुत अच्छी समीक्षा। मैने फ़िल्म वाशिंगटन डी सी मे देखी थी और भीड जबरदस्त थी। फ़िल्म का सबसे प्रभावी पहलू था उस्का ट्रीट्मेंट या प्रस्तुतिकरण। डाक्यूमेन्ट्री फ़ारमेट मे फ़िल्मांकन कर के न केवल उसमे वास्त्विक्ता का पुट आ गया है बल्कि हालिवुड् की घटिया एक्श्न प्रधान फ़िल्मों से इसने खुद को अलग कर के एक सम्माननीय स्थान बनाया है। अत्यंत ही संवेदनशील फ़िल्म।
ReplyDeleteएक समीक्षा कल्किआन् हिन्दी पर भी - डिस्ट्रिक्ट् 9 फ़िल्म की समीक्षा (http://hindi.kalkion.com/news/97)
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