किसे कहेंगे हम सोम -कस्मै सोमाय हविषा विधेम!
कहीं यही तो सोम नही है?
अब आगे ...
सोम की सबसे प्रबल दावेदारी Robert Gordon Wasson द्वारा एक मशरूम के लिए की गयी जिन्होंने अमैनिटा मस्कैरिया[सबसे नीचे का चित्र ] को इसका सबसे उपयुक्त प्रत्याशी माना [ .इसके बारे मे उन्होने बडे विस्तार से अपनी एक पुस्तक ,"Soma: Divine Mushroom of Immortality" मे लिखा .मगर बहुतों को बात कुछ हजम नही हुयी ,और एक आपत्तिजनक बात भी उन्होने वैदिक ऋचाओं के गलत [?]उद्धरण से कह डाली थी कि सोमा अनुष्ठान आयोजनों मे पुरोहितों के मूत्र का पान कर भी अनुयायी सोमरस का आनंद उठाते थे ,यह बात ऋग्वेद के गंभीर अध्येताओं को स्वीकार्य नही लगी .फिर बात आयी गयी हो गयी .दूसरी प्रबल दावेदारी पेगैनम हर्मला नामक वनस्पति के लिए की गयी [बाएँ ]मगर यह बात भी कुछ जमी नही और एक नया नाम उछाला गया -एफेड्रा का ]जिसे आज भी आश्चर्यजनक रुप से ईरानी /फारसी लोगो मे होम [सोम] के नाम से ही जाना जाता है .नेपाल मे इसे सोमलता के नाम से जाना जाता है .मगर भारत के अधिकांश हिस्सों मे यह कुदरती तौर पर नही पाया जाता .कुछ लोगों को आपत्ति है कि इसका प्रभाव वैसा नही है जैसा कि वेदों मे सोम्पान के लिए वर्णित है .हाँ यह अद्रेनेलिन सरीखे हारमोन का प्रभाव अवश्य उत्पन्न करता है .लिहाजा अभी भी असली सोम की खोज जारी है और एक नयी दावेदारी हाल मे हुई है जिसके बारे मे विस्तार से अगली बार ...
[चित्र साभार विकिपीडिया ]