Thursday, February 20, 2014

केरल में संपन्न हुआ अंतराष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मलेन

विगत १४-१६ फरवरी २०१४ को केरल राज्य के एर्नाकुलम शहर के प्रतिष्ठित संत टेरेसा कालेज में "ऐन इन्टरनेशनल कांफेरेंस आन पापुलैराईजिंग साईंस रायटिंग ऐंड सेलिब्रेटिंग साईंस फिक्शन " थीम पर आयोजित कार्यक्रम केरल राज्य में  अपने ढंग की अनूठी पहल रही। भारत के विभिन्न प्रांतों और भाषाओं -हिंदी, मलयालम ,तमिल ,तेलगू ,कन्नड़ ,मराठी ,बंगाली आदि के प्रतिनिधियों और विदेशी विज्ञान कथाकारों /समीक्षकों ने इसमें प्रतिभाग किया।  लन्दन के रिचमोंड अमेरिकन इंटरनेशनल युनिवेर्सिटी से प्रोफ़ेसर डोमिनिक अलेसिओ  और बेल्जियम के सुप्रसिद्ध विज्ञान  कथाकार फ्रैंक रोजेर  आयोजन के प्रमुख केन्द्रबिंदु रहे। उद्घाटन सत्र में अरविन्द मिश्र  और पी एन कृष्णन कुट्टी(मलयालम)  को विज्ञान कथा के उनके सुदीर्घ योगदानों के लिए अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया।  केरल राज्य के सबसे युवा विज्ञान कथाकार वेंकटेश विजय को उनके पेंगुइन इंडिया द्वारा प्रकाशित कृति "द ब्लेक्स :द ग्रीक मिशन " पर सम्मानित किया गया।  डॉ राजशेखर भूसनूरमथ की सद्य प्रकाशित विज्ञान कथा पुस्तकों -न्यूटन्स कैट और आर्ट ऐंड क्राफ्ट ऑफ़ साईंस फिक्शन राईटिंग का भी विमोचन इसी सत्र में किया गया।  
 उद्घाटन सत्र फ़ोटो सेशन 

आयोजन  के दौरान विभिन्न सत्रों में लगभग डेढ़ सौ पर्चे विभिन्न समान्तर सत्रों में पढ़े गए जो विज्ञान कथा के विभिन्न पहलुओं को समाहित किये हुए थे। मुख्यतः विज्ञान कथाओं के शिल्प और स्वरुप , रामराज्यीय संकल्पनाएँ (युटोपिया) और नारकीय परिदृश्यों (डिस्टोपिया) , मिथकों और विज्ञान कथा के अंतर्संबंधों,  विज्ञान  कथाओं में आशावाद और निराशावाद आदि पर पढ़े गए शोध पत्रों पर व्यापक चर्चा हुयी।  सबसे अधिक जोर विज्ञान  कथा को परिभाषित करने पर रहा किन्तु जैसा कि अपेक्षित था इस विधा की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं उभर सकी। केरल में अब तक विज्ञान की खोजों/अन्वेषणों को भी कहानी के माध्यम से प्रस्तुतीकरण को विज्ञान कथा माना जाता रहा है जो वस्तुतः इस विषयक वैश्विक मान्यता से विपरीत है , विज्ञान कथायें दरअसल मौजूदा/समकालीन  समाज ,प्रौद्योगिकी आदि की चर्चा के बजाय किसी सर्वथा अनदेखे समाज और दुनिया का काल्पनिक चित्रण करती हैं।  भले ही वे मौजूदा समाज और प्रौद्योगिकी से वे प्रेरित हुयी हों।  जबकि सी एम् एस कालेज कोट्टायम के सेवा निवृत्त प्रोफ़ेसर एस शिवदास का प्रबल मत था कि " कोई भी फिक्शन जो विज्ञान का प्रभावी संचार करता हो विज्ञान कथा का एक मॉडल है" . जबकि केरल के ही सुप्रसिद्ध विज्ञानं संचारक जी  एस उन्नीकृष्णन नायर का मत इसके विपरीत था और उनके अनुसार भविष्य दर्शन विज्ञान कथाओं का एक अनिवार्य तत्व है।  इस मामले में प्रतिभागियों और श्रोताओं के बीच कई बार गर्मागर्म किन्तु निष्कर्षहीन बहस हुयी।


श्री टी पी श्रीनिवासन (आई.ऍफ़ एस एवं पूर्व राजदूत ) ने अरविन्द मिश्र को सम्मानित किया
एक सत्र विज्ञान कथाकारों के बीच एक परिचर्चा को समर्पित रहा जिसकी अध्यक्षता अरविन्द मिश्र  ने की।  इसमें डॉ राजशेखर भूसनूरमथ (कर्नाटक ) ,डॉ एम् के प्रसाद , डॉ डोमिनिक अलेसिओ ,फ्रैंक रोजेर , एन डी रामकृष्णन , संतोष कुमार (कर्नाटक ) नेल्लई एस मुत्थु (तमिलनाडु ) ,पी एन कृष्णकुट्टी ,वेंकटेश विजय आदि सम्म्लित रहे।  मुख्य विचार बिंदु यह रहा कि क्या विज्ञान कथा के कुछ सार्वभौम संकेतक नियत हो सकते हैं जो हर देश -काल,  परिस्थिति और समाज में मजूद हों? या फिर अपने सांस्कृतिक अवयवों के चलते वे बिल्कुल भिन्न भी हो सकती हैं ? जैसे भारतीय विज्ञान कथाएँ मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत ,सुखान्त और मिथकों से प्रेरित होकर अपनी एक अलग पहचान बनाये रख सकती हैं।  विज्ञान कथाओं में मानवीय प्रेम ,सरोकार एक समान संकेतक हो सकता है जो सभी मानव कृत विज्ञान कथाओं में सहज ही समाविष्ट रह सकता है -हाँ रोबोट द्वारा लिखी विज्ञान कथा में हो सकता है मानवीय संवेदना का अभाव हो या फिर उनमें भी मानवीय संवेदनाओं का सहसा ही प्रगटन हो सकता है -इन बिंदुओं को लेकर रोचक चर्चा हुई।  

यह आयोजन भारतीय विज्ञान कथा अध्ययन समिति वेल्लोर के सहयोग से आयोजित हुआ।  इसके अध्यक्ष डॉ के एस पुरुषोत्तमन और महामंत्री डॉ श्रीनरहरि ने समिति के अवदानों की चर्चा की। केरल राज्य में इस आयोजन ने विज्ञान कथा प्रेमियों के लिए वहाँ एक नए युग का सूत्रपात किया है।  इस आयोजन में भाग लेकर मैं बहुत अच्छा अनुभव कर रहा हूँ।  

13 comments:

  1. सम्मानित होने के लिए बधाईयाँ पता होता तो हम भी वहाँ पहुँच सकते थे

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत बधाई सर |एक सुखद उपलब्द्धि एक अविस्मर्णीय क्षण |

    ReplyDelete
  3. सम्‍मानित होने की हार्दिक बधाईयां एवं जानकारी साझा करने के लिए धन्‍यवाद।

    ReplyDelete
  4. आयोजन में भागीदारी और सम्मान के लिए हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  5. जय हो...आनंद दायक समाचार साझा करने के लिए आभार।

    ReplyDelete
  6. हार्दिक बधाई आपको....

    ReplyDelete
  7. बहुत बहुत बधाई आपको ...

    ReplyDelete
  8. भारतीय ही नही समूची‌ विज्ञान कथा के निरंतर कम होते प्रभाव को देखते हुये इस तरह के कर्यक्रम प्रस्ंशनीय हैं। लेकिन मेरे दिल्चस्पी इस् विषय मे अधिक है कि किस तरह् की चर्चा हुई। और भारतीय विज्ञान कथा के भविषय को लेकर लेखकों‌ की क्या योजना है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वप्निल इस अंश को गौर से देखें! साथ ही भारतीय विज्ञान कथाओं के अनुवाद की एक कार्ययोजना बन रही है -
      मुख्य विचार बिंदु यह रहा कि क्या विज्ञान कथा के कुछ सार्वभौम संकेतक नियत हो सकते हैं जो हर देश -काल, परिस्थिति और समाज में मजूद हों? या फिर अपने सांस्कृतिक अवयवों के चलते वे बिल्कुल भिन्न भी हो सकती हैं ? जैसे भारतीय विज्ञान कथाएँ मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत ,सुखान्त और मिथकों से प्रेरित होकर अपनी एक अलग पहचान बनाये रख सकती हैं। विज्ञान कथाओं में मानवीय प्रेम ,सरोकार एक समान संकेतक हो सकता है जो सभी मानव कृत विज्ञान कथाओं में सहज ही समाविष्ट रह सकता है -हाँ रोबोट द्वारा लिखी विज्ञान कथा में हो सकता है मानवीय संवेदना का अभाव हो या फिर उनमें भी मानवीय संवेदनाओं का सहसा ही प्रगटन हो सकता है -इन बिंदुओं को लेकर रोचक चर्चा हुई।

      Delete
  9. निश्चय ही भविष्य कथन और अनुमान ,नव आदर्श विज्ञान दंत कथाओं का अपरिहार्य अंग माना जाएगा। केवल कौतुक पैदा नहीं करती हैं विज्ञान गल्प। भविष्य के प्रति एक दर्शन लिए रहती हैं ,नव-दृष्टि भी।

    ReplyDelete
  10. आपकी सतत उपलब्धियां हमें भी निरंतर गौरवान्वित होने का रहतीं हैं। बधाई इनामात से नवाज़े जाने पर। आप ब्लॉगिंग की शान हैं हमारा मान हैं।

    ReplyDelete

If you strongly feel to say something on Indian SF please do so ! Your comment would be highly valued and appreciated !