विज्ञान कथा दरअसल साहित्य की ही एक विधा है- किन्तु हिन्दी में सर्वथा उपेक्षित और अचर्चित।दिन दूनी रात चौगुनी गति से हो रहे प्रौद्योगिकी बदलावों का मनुष्य के एकाकी अथवा सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है, इसका पूर्वानुमान/पूर्वाकलन ही विज्ञान कथा का विवेच्य है। सुप्रसिद्ध अमेरिकी विज्ञान कथाकार आइजक आजिमोव के शब्दों में विज्ञान कथा साहित्य की वह विधा है जो मानव समाज पर प्रौद्योगिकी जनित बदलावों की एक पूर्वानुमानित झलकी- तस्वीर प्रस्तुत करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह मानव की निजी और सामाजिक जिन्दगी पर प्रौद्योगिकी की बढ़ती दखलन्दाजी से उपजी मानवीय प्रतिक्रिया/अभिव्यक्ति की ही एक साहित्यिक प्रस्तुति है।
विज्ञान कथाओं में `काल विपर्यय (एनाक्रोनिज्म) मुख्य तत्व है- अर्थात किसी समकालीन पृष्ठभूमि- कैनवस पर कथानक के अंकुरण के बावजूद भी बहुत कुछ उस परिवेश से बेमोल/अनफिट सा घटित होता रहता है। उदाहरण के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम के हाथ में धनुष के बजाय ए0के0-47 दिखाया जाना या फिर गांधी जी का मोबाइल फोन पर बात करते हुए चित्रित होता, विज्ञान कथां की प्रकृति के सर्वथा अनुरुप है. विज्ञान कथाओं के सन्दर्भ में काल विपर्यय की यही अवधारणा है ऑर भविष्य का पूर्वानुमान तत्वत: विज्ञान कथाओं का मुख्य प्रतिपाद्य है। कैसी होगी आने वाली दुनिया, क्या जनसंख्या विस्फोट के चलते सागर की तलहटियों में बसेंगी मानव सभ्यताएं या फिर चाँद ऑर मंगल की ओर शुरू होगा महाभिनिष्क्रमण! क्या कम्प्यूटर क्रान्ति के चलते मनुष्य की लेखन कला कालातीत हो उठेगी और वह नये अर्थों में `मसि कागज छुओं नहीं 'को चरितार्थ कर केवल कम्प्यूटर की बोर्ड पर उंगलियों को थिरका सकेगा। लोग शायद भूल भी जायेंगे कि की लिखने के लिए कभी कागज और कलम का भी इस्तेमाल होता था। कागज कलम के पुजारी तब ढूढे भी नहीं मिलेंगे ।ऐसी दुनियाँ की यदि आज कथात्मक झलक दिखा दे तो समिझये वह विज्ञान कथाकार है।
विज्ञान कथा के दो मुख्य विभेद हैं- एक तो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के ज्ञात और मान्य तथ्यों पर आधारित होती है जिसे `सांइस फिंक्शन´ के नाम से सम्बोधित करते हैं ऑर जो विज्ञान के नाम पर केवल कल्पना के बेलगाम घोड़ों को `सरपट दौड़ाते रहने को तवज्जो देती हैं- विज्ञान फंतासी कहलाती हैं। हिन्दी साहित्य में `विज्ञान कथा´ इन दोनो ही प्रवृत्तियों का बोध कराने वाला सम्बोधन है। विज्ञान कथा को हम विज्ञान गल्प का सम्बोधन भी देते हैं क्योंकि बंगला साहित्य में `शार्ट स्टोरी´ को `गल्प´ कहा जाता है और यह शब्द हिन्दी में भी उसी अर्थ में प्रयुक्त होता है। `विज्ञान कथा´ को `वैज्ञानिक कहानी´ कहने में भी कोई गुरेज नहीं है। तथापि यदि कोई राम भक्त `टाइम मशीन´ में बैठकर राम रावण युद्ध काल में पहुँच कर अपने आराध्य को ए0के0 - 47 पकडा बैठे तो इस अनोखे दृष्ठांत को विज्ञान फंतासी कहना ज्यादा उचित होगा। किंतु चाँद की सरजमी पर खनिज सम्पदाओं के उत्खनन की तकनीक का विवरण देती कथा `साइंस फिक्शन´ कही जायेगी।
पुनश्च ............
यह बड़ा रोचक लग रहा है। कितना अच्छा लगेगा जब एक अत्याधुनिक वैज्ञानिक फन्तासी में बुने वातावरण में युद्ध हो और उसमें कृष्ण भग्वद्गीता मॉडर्न परिप्रेक्ष में प्रकटित करें।
ReplyDeleteऔर मुझे विश्वास है कि वह बहुत लोकप्रिय होगा! गल्प लिखने में सिद्धहस्त नहीं हूं, अन्यथा यह अवश्य करता!
आपकी यह पोस्ट मेरे मानस को टिकल करती है।
आर्थर कलार्क ने एक बार कहा कि Any sufficiently advanced technology is indistinguishable from magic क्या जादू की कहानियां भी इसी श्रेणी में आयेंगी।
ReplyDeleteइसे विकिपीडिया पर भी डालने की सोचिये।
यह चिट्ठी लिखने के लिये धन्यवाद। मैं भी अपना वायदा पूरा करता हूं। पर मेरी श्रंखला लगती कि काफी कड़ियों में जायगी।
जैसे ही आतंकवादी राजनेता के घर घुसे उनका सिर घूमने लगा। अभी कुछ समय पहले तो सजावटी पौधो की बाड पार करने से पहले तो सब ठीक था। वे चकरा गये। बाडो के बीच लगाये गये विषैले पौधे जिसे कमाँडर ने बी-1 का नाम दिया था ने असर दिखाया। तभी पीछे से सैनिक भी उसी बाड से कूदे पर यह क्या उनको कुछ नही हुआ। वे कुछ चबा रहे थे। मतलब उनके पास इसकी काट थी। आतंकवादी समझ गये कि ऐसी रणनीति के आगे हथियारो की क्या बिसात।
ReplyDeleteअरविन्द जी ऐसी कथाए मै लिख सकता हूँ पर प्रकाशित कौन करेगा? क्या यही विज्ञान कथा है? मार्गदर्शन करे।
उन्मुक्त
ReplyDeleteआभार ,आपकी श्रृंखला की उत्सुकता से प्रतीक्षा है -क्लार्क के जिस विचार को अआपने उधृत किया है वह सच है ,विज्ञान के आविष्कार जादू ही से तो लगते हैं और बहुधा तो उनके विज्ञान की पूरी समझ हो जाने के बाद भी उनका जादुई प्रभाव कायम रहता है ,अब यही माध्यम ले लीजिये-अंतर्जाल - क्या यह कुछ कम जादुई है ?मगर हाँ जादू /जादुई कहानियो मे विज्ञान -तकनीक को नही समझाया जाता जबकि विज्ञान कथा वर्णित जादुई माहौल के विज्ञान -तकनीक को समझाने को उद्यत रहती है ,मेरी मंजिल भी अभी काफी दूर है -साथ साथ चलना है .
सादर
पंकज जी ,
ReplyDeleteबहूत खूब ,थ्रिलर की बानगी !आपके प्रश्न का उत्तर इसी चिट्ठे और उन्मुक्त जी की आगामी चिट्ठियों मे मिलेगा कृपा कर थोडा धैर्य रखें -इसी बहाने यहाँ वहाँ पधारते रहें ,आपकी मौलिकता और उर्जा निश्चय ही इस दिशा मे भी कीर्तिमान कायम कर सकती है .
सादर
विज्ञान कथा की स्थापना को लेकर जिन लोगों ने गम्भीर काम किया है, उनमें आपका नाम सर्वोपरि है। मैं आपके इस प्रयास को सलाम करता हूं।
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDelete女性向け風俗サイトで出張デリバリーホストをしてみませんか?時給2万円の高額アルバイトです。無料登録をしてあとは女性からの呼び出しを待つだけなので、お試し登録も歓迎です。興味をもたれた方は今すぐどうぞ。
ReplyDelete