Sunday, September 16, 2007

क्या 'न्यूस्पीक' से आप परिचित हैं?

क्या 'न्यूस्पीक' से आप परिचित हैं?
पिछले दिनों मैंने आपका परिचय जार्ज आर्वेल और उनकी साहित्यिक
विरासत से कराया था .आर्वेलियन साहित्य का एक और पहलू काफी रोचक हैजो भाषा के एक नए रुप को दर्शाता है .आईये देखते हैं.
,
अभिव्यक्ति पर भी पहरा !
आर्वेलियन 1984 का एक और मामला ऐसा है जो साहित्य से जुड़ा है और मानवीय सरोकारों से भी उसका गहरा वास्ता रहा है। `1984´ में आर्वेल ने `न्यूस्पीक´ के नाम से एक ऐसी भाषा के विकास की झलक दिखाई है जो प्रचलित जनभाषा - अंग्रेजी को विकृत कर शासक-आक्रान्ता के पक्ष में एक सर्वथा नये भाषा-भाव को तरजीह देती है- यह एक तरह का भाषायी उत्पीड़न है जो विरोध के हर शब्दों-स्वरों को ही बदल डालने पर उद्यत है- यह प्रचलित शब्दों और वाक्याशों को अति संक्षिप्त रुप देने पर उतारु है- जैसे `1984´ के कल्पित विशाल `ओसीनिया´ राज्य के एक दलीय शासक की सरकारी भाषा `न्यू स्पीक´ के प्रचार में ऐसे सभी प्रचलित-पुराने शब्दों को संक्षिप्त कर उनका अर्थबोध बदल दिया जाता है, जिनसे पार्टी की नीति को खतरा है। न्यूस्पीक के अन्तर्गत `उत्पीड़न शिविरों´ को `ज्वाय कैम्प´,शासकीय प्रचार विभाग को, `द मिनिस्ट्री आफ ट्रुथ´, राशन विभाग को `मिनिस्ट्री आफ प्लेन्टी´, मात्र बच्चा पैदा करने की नीयत से किये गये भावना रहित रति सम्बन्ध को भी `गुड सेक्स´ जैसे शब्द दे दिये गये हैं। आर्वेल ने इस तरह के भाषा और भाव बोध की प्रेरणा आल्डुअस हक्सले के `द ब्रेव न्यू वल्र्ड´ से ग्रहण की है, जहाँ ``मृत्यु ही आनन्द´ है, सरीखी भावाभिव्यक्तिया¡ धड़ल्ले से इस्तेमाल हुई हैं। भाषान्तरण का यह दौर हमारी वास्तविक दुनिया¡ में भी आ धमका है, आज `न्यूस्पीक डाट काम´ ऐसी साइट है जहा¡ आप ऐसे अनेक शब्द देख सकते हैं जो निहित स्वार्थों के चलते अनेक राजनीतिक शक्तियों द्वारा इस्तेमाल में लाये जा रहे हैं और जो चाहे अनचाहे हमारे रोजमर्रा की बातों और विचारों में घुसपैठ कर रहे हैं। चन्द उदाहरण हैं- `होमोफोबिक´, `पीस कीपर्स´ `सेक्सुअल हरासमेन्ट´, आदि। कुछ बिल्कुल नये शब्द हैं- डोमेस्टिक इन्जीनियर (हाऊस वाइफ के लिए), घिनौने-बदसूरत व्यक्ति के लिए- ``विजुअली चैलेन्ज्ड´´ और विकलांग के लिए, `हैण्डीकैपैबल´ आदि।
क्या ऐसा कोई शब्द आपने भी गढा है?
0-----0

2 comments:

  1. मैंने तो कोई नया शब्द नहीं गढ़ा है पर अन्तरजाल जरूर गढ़ रहा है।

    ReplyDelete
  2. अरविंद जी, पोस्ट की पठनीयता बाधित हो रही है।

    ReplyDelete

If you strongly feel to say something on Indian SF please do so ! Your comment would be highly valued and appreciated !