सम्प्रति अमेरिका वासी भौतिक शास्त्री और जानी मानी विज्ञान कथाकार वन्दना सिंह की चौदह कथायें इस नवीन संग्रह में समाहित हैं जिनमें आखिरी कहानी 'रिक्वीम' नई तरोताजी कथा दरअसल एक उपन्यासिका है, बाकि अन्यत्र पूर्व प्रकाशित हैं जिनका संदर्भ उन्होंने संग्रह के अन्त में दिया है।320 पेजी यह कथा संग्रह अमेरिका के स्माल बीर प्रेस से इसी वर्ष (2018) प्रकाशित है।
समीक्ष्य कहानियों में कथाकार का मानवीय दखल से मौसम के बदलावों के अन्देशे , अतीत के अतिशय अनुराग (नोस्टाल्जिया), भारतीय मिथकों के पात्र , नारी के अपने मूलावास से विस्थापन और कैरियर के जद्दोजहद सहित सुदूर के दिक्काल पर चाहे अनचाहे मानवीय हस्तक्षेपों की झलक खास तौर पर उभरती है।
भले ही टेलीपोर्टेशन की थीम लिये 'एम्बिगुयिटी मशीन :ऐन एक्जामिनेशन' संकलन की शीर्षक कथा है मगर मुझे उपन्यासिका 'रिक्वीम' संकलन की सर्वोत्तम कथा लगी। यह मानव और मानवेतर पशुओं के साथ संवाद करती एक अनुसन्धानकर्ता रीमा के उत्तरी ध्रुव के एक द्वीप से सहसा गायब होने की कथा है जिसे उनकी भतीजी खोजने के लिए वहां जा पहुंचती है। वहां उसे औद्योगिक उद्येश्यों से लालची मानवों के हस्तक्षेपों के चलते ह्वेलों पर आये संकट और रीमा का उनसे भाषिक संवाद के प्रयासों का क्लू मिलता है।
अन्य सभी कहानियाँ रोचक हैं मगर अंग्रेजी साहित्य के परिष्कृत अभिरुचि वालें पाठकों को विशेष रूप से भायेंगी। भारतीय पाठक सामान्यतः बहुत सरल कहानी विधा के आदी हैं जिनमें एक साधारण स्टोरीलाईन हो, सस्पेंस रहस्य रोमांच और रोमांस का पुट हो और सहसा अनपेक्षित अन्त हो।
संकलन की पहली कहानी 'विद फेट कान्सपायर' जलवायु में बदलाव की आशंका लिये वैज्ञानिकों की एक अजीबोगरीब कवायद है जिनके द्वारा एक ऐसी टाईम मशीन सरीखा यंत्र ईजाद हुआ है जो अतीत द्रष्टा है किन्तु केवल कुछ ही अतीन्द्रिय क्षमतायुक्त लोग इसके जरिये अतीत दर्शन कर सकते हैं।
एक निचले तबके की अनपढ़ लड़की गार्गी उनका सब्जेक्ट बनती है और अतीत दर्शन के गोते लगाती रहती है जहां वह कलकत्ता के जीवन और एक कामवाली दाई के दैनिक चर्या की जिजीविषा से रुबरू होती है। लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह की मशहूर नज्म बाबुल मेरो नैहर छूटल जाय की रचना प्रक्रिया के रोचक अवलोकन सहित इस कथा में 'भारतीयता' रच बस सी गयी है।
अगली कथा 'ए हैन्डफुल आफ राइस' सुदामा के चावल की एक वैकल्पिक कथा प्रस्तुति है जिसमें तन्त्र मन्त्र सरीखी मानसिक शक्तियों की भयावह लड़ाई के जरिये दिल्ली के मुगलिया सल्तनत को हथियाने का प्रयास है किन्तु जीत 'सुदामा के चावल' की ही है। यह एक वैकल्पिक इतिहास (अल्टरनेट हिस्ट्री) की तजवीज है, जो एक बीते युग को साक्षात करती है।
पेरिपटेया (peripatea) एक युवा भौतिकविद के अपने एक सहेली से विछोह की कहानी है, 'लाईफ पाड' नारी पात्र की अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान विचारों के झंझावात का वर्णन है।'इन्द्राज वेब' दिल्ली के निकट के एक सोलर ग्राम की एक ईकाई में उत्पन्न खराबी के आश्चर्यजनक कारण को कथावस्तु बनाती है तो 'क्राई आफ द खर्चल' एक पक्षी के जरिये दन्तकथा की स्टाइल में नारी जीवन की विडंबना को उभारती है।
अन्य कहानियाँ अन्तरिक्ष सैर के विभिन्न पहलुओं को जीवन्तता से समेटती हैं जिसमें जेनेरेशन शिप में नारी पात्र के मानसिक उलझनों, उसके अपने पारिवारिक विछोह और अकेलेपन के दंश का पुट है तो कहीं जन्म जन्मान्तर तक बदला लेने की की कटिबद्धता सचमुच मूर्त रुप ले लेती है मगर एक एन्टी क्लाइमैक्स के साथ।
अंग्रेजी साहित्य के कथा प्रेमियों के लिए यह एक संग्रहणीय कथाकृति है।