अभी हाल में ही यह कृति मुझे पढने के लिए मिली थी .यह पुस्तक बहुत ही भरोसेमंद तरीके से यह बताती है कि मौजूदा कितनी ही जुगतें, मशीनों के बारे में हमारे पुरखों ने सोचा था मगर चूंकि तब सटीक टेक्नोलोजी नहीं सुलभ थी इसलिए उनकी सोच बस महज कल्पनात्मक पौराणिक कहानियों के धरोहर के रूप में आज हमारे पास है .कार्ल सागन जो कभी ख्यात अमेरिकी पत्रिका टाईम द्वारा 'शो मैन आफ साईंस " की पदवी से नवाजे गए थे , ने कभी कहा था कि अगर कल्पना की उर्वरता देखनी हो तो भारतीय पुराणों का पारायण करना चाहिए .आधुनिक विज्ञान कथाओं (साईंस फिक्शन ) में जिस तरह भविष्य की टेक्नोलोजी का पूर्वानुमान किया जाता है ठीक वैसे ही मानों हमारा पुराणकार सूदूर भविष्य के सपने देख रहा हो ...उनके द्वारा कल्पना प्रसूत अनेक युक्तियाँ और उपकरण तो ऐसा ही आभास देते हैं ..इसलिए ही अगर विज्ञान कथाओं को समकालीन मिथक कहा जाता है तो यह उचित ही है ...
मिथकों में विज्ञान कथात्मकता की खोज मेरा भी प्रिय विषय रहा है इसलिए जब डॉ .राजीव रंजन उपाध्याय की यह पुस्तक मेरे सामने आयी तो जिज्ञासा स्वाभाविक थी .आद्योपांत पुस्तक मैंने पढी और लेखक के श्रम और प्रस्तुतीकरण से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा ...लेखक ने महाभारत और श्रीमदभागवत के महासागर से चुन चुन कर श्रमपूर्वक उन कहानियों का संकलन किया है जिनमें मानों मौजूदा ही नहीं भविष्य की अनेक संभावित तकनीकों का पूर्वावलोकन होता हो .इसलिए पुस्तक का नाम वैज्ञानिक पुराकथायें उचित लगता है ,
पुस्तक के २६ अध्यायों में उन रोचक पुराकथाओं की पुनर्प्रस्तुति की गयी है जिनमें कोई न कोई कल्पनाशील वैज्ञानिक युक्ति/जुगत का पूर्वाभास है .जैसे अमरता के लिए संजीवनी बूटी का प्रसंग ,मय दानव द्वारा अन्तरिक्ष -शहर बसाया जाना ,अद्भुत अस्त्र शस्त्र ,विमान,चिर यौवन के आकांक्षी राजा ययाति की कथा ,अन्तरिक्ष में औंधे मुंह लटके त्रिशंकु की व्यथा ,महर्षि च्यवन के यौवन पुनर्प्राप्ति की कथा आदि ..आज इन सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक शोधरत हैं -अन्तरिक्ष स्टेशन तो कबका बन भी चुका ...और कोई आश्चर्य नहीं कि निकट या सुदूर भविष्य में हमारी पुराणोक्त दुनिया हकीकत में बदल जाय ...
पुस्तक बहुत रोचक है हालांकि इस अपेक्षाकृत छोटे कलेवर में पौराणिक कहानियों के अपार भण्डार से कुछ ही रत्न यहाँ संचयित हो पाए हैं ...मुझे आशा है लेखक इस दिशा में अपने प्रयासों से आगे भी ऐसी दस्तावेजी कृतियाँ पाठकों के समक्ष लाने का अनुग्रह करेगा .पुस्तक पढने की जोरदार सिफारिश है.
समीक्ष्य पुस्तक : वैज्ञानिक पुराकथाएँ
लेखक : डॉ. राजीव रंजन उपाध्याय
प्रकाशक: आर्य प्रकाशन मंडल ,
९/२२१,सरस्वती भंडार ,गांधीनगर
दिल्ली -११००३१
मूल्य :१३० रूपये ,पृष्ठ -104
काफी ज्ञानवर्धक पोस्ट है...भविष्य में इस पुस्तक को पढ़ने की चेष्टा रहेगी...धन्यवाद.
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